आधुनिक जीवनशैली के कारण महिलाओं के बीच यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (यूटीआई) आम रोग बन चुका है जिसका सबसे बड़ा और सामान्य कारण है अस्वच्छ शैचालयों का इस्तेमाल करना. बात अगर नौकरी पेशा महिलाओं की जाए तो रोग हर दूसरी महिला को अपनी गिरफ्त में ले लेता है. यह रोग हालांकि बहुत खतरनाक नहीं है लेकिन अगर समय रहते ध्यान दिया जाए तो यह किडनी तक को प्रभावित कर सकता है. कुछ सावधानियां बरतकर यूटीआई से बचा जा सकता है.
यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (यूटीआई) कैसे होता है?
यूटीआई या यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन ज्यादातर तब होता है, जब बैक्टीरिया यूरेथ्रा के माध्यम से हमारे यूरिनरी ट्रैक्ट में प्रवेश करता है और ब्लैडर के अंदर फैलता है। यद्यपि हमारे यूरिनरी सिस्टम को अपनी सुरक्षा होती है, लेकिन कभी-कभी बाहरी बैक्टीरिया का विरोध करने में विफल रहती है। जब ऐसा होता है, बैक्टीरिया हमारे शरीर पर पकड़ लेता है और फिर मूत्र पथ के अंदर एक पूर्ण विकसित संक्रमण में निकलता है। यूटीआई, आमतौर पर महिलाओं के बीच होती है।
महिलाओं के बीच यूटीआई जिसे मूत्र मार्ग संक्रमण भी कहा जाता है, का सबसे सामान्य और प्रचलित कारण वेस्टर्न स्टाइल के टॉयलेट हैं जहां इस संक्रमण का जोखिम अधिक बढ़ जाता है. 15 से 40 की उम्र के बीच यह समस्या अधिक देखी जाती है.
बुनियादी तौर पर यूटीआई की समस्या मूत्रत्याग के समय किसी भी प्रकार की बाधा के कारण होती है. लेकिन शौचालय का इस्तेमाल करते वक्त स्वच्छता का ध्यान ना रखना इस संक्रमण का आम कारण है. यूटीआई का एक कारण गर्मियों में दूषित पानी का सेवन और निर्जलीकरण (डीहाइड्रेशन) और नियंत्रित मधुमेह भी यूटीआई को बुलावा दे सकता है.
संक्रमण से बचाव पर बात करे तो हमेशा स्वच्छ शौचालय का प्रयोग करना चाहिए, स्वच्छता किसी भी रोग से बचने का सबसे बड़ा उपाय है. चूंकि यह रोग पुरुष व महिला दोनों को प्रभावित करता है इसलिए सुरक्षित यौन संबंध इससे बचने का एक तरीका हो सकता है. अगर किसी को यूटीआई हो गया तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए क्योंकि समय रहते इलाज न होने पर यह गंभीर रोगों को दावत दे सकता है.”
एक रिपोर्ट के अनुसार, गंदे शौचालयों या शौचालयों की कमी जैसे कारणों के साथ भारत में लगभग 50 फीसदी महिलाएं यूटीआई से पीड़ित हैं.
पुरुषों की तुलना में महिलाएं इस रोग से अधिक प्रभावित होती हैं. खासतौर पर युवा महिलाओं में यूटीआई की शिकायत बहुत आम है. यह रोग किडनी पर भी दुष्प्रभाव डाल सकता है. ऐसा देखा गया है कि पुरुषों में 45 की उम्र के बाद यह परेशानी शुरू होती है और ज्यादा उम्र के पुरुषों को यह बीमारी प्रोस्टेट ग्रंथि के बड़ा होने, मधुमेह, एचआईवी या फिर यूरिनरी ट्रैक्ट में स्टोन होने के कारण होती है. चूंकि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में यूरेथ्रा छोटा होता है, इसलिए बैक्टीरिया यूरिनरी ब्लाडर को जल्दी प्रभावित करते हैं.
यूटीआई (UTI) के मुख्य लक्षण
- यूरिन का रंग अधिक पीला होना व उसमे दुर्गन्ध आना।
- गुप्तांग में खुजली व जलन होना।
- यूरिन (पेशाब) में ब्लड आना।
- बार-बार टॉयलेट जाने की बैचेनी होना और जब जाएं तो थोड़ी सी यूरिन होना।
- यूरिन का रंग अधिक पीला होना व उसमे दुर्गन्ध आना।
- पेशाब में रूकावट आना एवं रुक-रुक कर यूरिन आना।
- लोअर एब्डमन में दर्द होना है व किसी तरह का दबाव महसूस करना।
- गंभीर यूटीआई की स्थिति में थकान व बुखार आ सकता है।
यूटीआई की वजह और इससे बचने के उपाय
1) क्योंकि यूटीआई में मूत्राशय में बैक्टेरिया जमा हो जाते हैं तो पानी ज़्यादा पिएं कम पानी पीने से न केवल डिहाइड्रेशन होता है बल्कि आप यूटीआई से भी पीड़ित हो सकते हैं
2) ध्यान रखें कि अपने गुप्तांग को हमेशा साफ और सूखा रखें। गीले होने के कारण भी इसमें बैक्टेरिया होने की आशंका बढ़ जाती हैं।
3) टॉयलेट आने पर उसे अधिक समय रोके नहीं।
4) इसकी एक अहम वजह महिलाओं का अपने संवेदनशील भाग के प्रति लापरवाही है।
5) यही नहीं संभोग के बाद भी सफाई बहुत जरूरी होती हैं क्योंकि कई मामलों में सेक्स के बाद भी यूटीआई होने की आशंका में इजाफा हो जाता है।
6) संभोग के बाद टॉयलेट ज़रूर जाएं और गुप्तांग साफ़ करें।
7) अपना बाथरूम हमेशा साफ़ रखें और सार्वजनिक शौचालयों (पब्लिक शौचालय) का उपयोग न करना ही बेहतर है.
8) विटामिन-सी युक्त आहार को अपने भोजन में शामिल करना चाहिए
प्रत्येक पांच महिलाओं में से एक महिला को अपने जीवन में कम से कम एक बार यूटीआई की समस्या से गुजरना पड़ता है. सार्वजनिक शौचालय का उपयोग संक्रमण के फैलाव के प्रमुख कारणों में से एक है. नौकरी पेशा के लिए सार्वजनिक शौचालयों से परेहज करना मुश्किल है ऐसी स्थिति में सबसे साधारण और जरूरी उपाय है कि महिलाओं को शौचालय उपयोग करने से पहले और बाद में शौचालय को फ्लश और शौचालय की सीट पर पानी डालकर सूख नैपकिन से साफ कर लेना चाहिए. इसके अलावा बहुत सारा पानी और संतुलित आहार हर तरह के रोग से बचाव का कारगर तरीका है.